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A talk was organised by Research and development cell on “How to write a research paper”.

A talk was organised by Research and development cell on “How to write a research paper” under the guidance of Principal Dr. Alka Mittal.The resource person was Prof. Sunil Kumar Gupta( A renowned academician and expert in the field of management and distance education).The idea of this talk was to enhance the knowledge of research work for PG students as well as staff.Our esteemed speaker shared valuable insights and practical tips like selecting a research topic and conducting literature review, best practices for data collection and analysis on crafting a well structured and well written research paper. Our students found the session informative and engaging and we are grateful for the speaker’s expertise and enthusiasm.We look forward to hosting more such lectures in the future.

आदर्श महिला महाविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का समापन समारोह

निर्णय लेने की क्षमता स्वयं महिलाओं की हों – डॉ. सपना बंसल
स्वयं की सकारत्मक सोच और प्रयास से आत्मनिर्भर बने- डॉ. भरतवाल
महिलाओं का स्वावलम्बन ही महिला सशक्तिकरण का आधार- डॉ. पवन बुवानीवाला
आज की महिला पारम्परिक रूढिवादिता के बंधनो को तोडते हुए हर क्षेत्र में अपना वर्चस्व स्थापित किए हुए है। महिलाएं पुरुषो के साथ कंधे से कंधा मिलाकर उन्नति के शिखर का छू रही हैं। यह उद्गार आदर्श महिला महाविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के आयोजन के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि श्री राम कॉलेज ऑफ कॅार्मस, दिल्ली से प्रो. सपना बंसल ने कहें। उन्होनें यह भी कहा कि महिलाएं स्वयं को किसी से कम न समझें अपितु पूर्ण आत्मविश्वास के साथ कार्य और जीवनशैली में संतुलन बनाते हुए आगे बढंे़।
महाविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार जिसका विषय-‘‘महिला सशक्तिकरण में आत्मनिर्भर भारत की भूमिका’’ के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि डॉ. सपना बंसल, विशिष्ट अतिथि डॉ. पवन बुवानीवाला, महासचिव वैश्य ट्रस्ट भिवानी रहे। तकनीक सत्र में मुख्य वक्ता डीन फैक्लटी ऑफ कॉमर्स एडं मैनेजमैंट सी.बी.एल.यू से प्रो. सुनीता भरतवाल रही।
वैश्य महाविद्यालय ट्रस्ट के प्रधान शिवरत्न गुप्ता ने कहा कि नौकरी लेने वाले नही, देने वाले बने। महिला सशक्तिकरण की अवधारणा हमारे प्राचीन इतिहास से ही हमारे समाज में है। भारतीय संस्कृति में देवियों के हाथ में ही सृष्टि के संचालन की शक्ति रही हैं।
विशिष्ट अतिथि डॉ. पवन बुवानीवाला ने कहा कि महिला सशक्तिकरण का आधार महिलाओं का स्वावलंबी होना हैं। वित्तिय तौर पर महिलाएं आत्मनिर्भर होगीं तब वह स्वयं निर्णय लेने की क्षमता विकसित कर पाएंगी। उन्होनें यह भी कहा कि पुरूष आदिकाल से ही महिलाओं के सहयोग के बिना अधूरा है।
तकनीकी सत्र में मुख्य वक्ता डॉ. सुनीता भरतवाल अपने संबोधन में कहा कि भारत युवा शक्ति का देश है। आत्मनिर्भर भारत में युवाओं के लिए बहुत सारे अवसर है, आवश्यकता कर्म्फटजोन से बाहर आकर प्रयास करने की है। आत्मनिर्भर भारत के लिए महिलाओं का सशक्त होना बेहद आवश्यक है। ज्ञान, शिक्षा और कौशल से सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलता है। टीम प्रबंधन और ईकाई बनाकर महिलाएं उद्यमशीलता को बढ़ावा दे सकती हैं। शिक्षक वर्ग से अपील कि वे विधार्थियों मे कौशल निर्माण करें और रोजगार के अवसरों से अवगत कराएं।

प्राचार्या डॉ. अलका मित्तल ने सभी अतिथिगण का धन्यवाद किया और बताया कि सेमिनार का आगाज दो सत्रो में हुआ। जिसमें प्रांत के 31 विभिन्न विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों से आए 230 शोधार्थियों ने पंजीकरण करवाया और उन्होने अपने शोध पत्रो के माध्यम से महिला सशक्तिकरण पर प्रकाश डाला। प्राचार्या ने यह भी विश्वास दिलाया कि महाविद्यालय आगे अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी सेमिनार का आयोजन करेगा। कार्यक्रम में शोधार्थी डॉ. पवन कुमार, विकास शर्मा, रीना तनेजा, ने सेमिनार का सक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया।
सेमिनार की कॉर्डिनेटर नीरु चावला, आयोजक सचिव डॉ. अमीता गाबा, संयुक्त सचिव अनीता वर्मा संयोजिका डॉ. आशिमा यादव सह संयोजिका डॉ. गायत्री बसंल, डॉ. प्रीति शर्मा व टीम सदस्य शीतल केड़िया, वैशाली, हिमांशी जैन, डॉ. सुचेता सोनी रहे। मंच का संचालन बडे़ ही प्रभावी ढ़ग से डॉ. निशा शर्मा व डॉ. रिकंू अग्रवाल द्वारा किया गया। तकनीकी सत्र की कॉर्डिनेटर डॉ. रिकूं अग्रवाल, डॉ. नूतन शर्मा व डॉ. मोहिनी रही।

Dr Aparna Batra , Head-Deptt of English ,was invited to Chair an Academic Session in a significant National Seminar at IIT ROORKEE

It is a matter of great honour for our college that Dr Aparna Batra ,Head-Deptt of English ,was invited to Chair an Academic Session in a significant National Seminar at IIT ROORKEE – a most prestigious and historical institute which holds the distinction to be the oldest technology institute in the commonwealth group of nations.She also shared her views on ‘Revisiting the Indian Scriptures in Contemporary Times’.

करियर गाइडेंस एंड प्लेसमेंट सेल के तहत वाणिज्य विभाग में एन.आई.एस.एम से संबंधित विचार गोष्ठी का आयोजन करवाया गया।

जिसमें वाणिज्य विभाग की छात्राओं ने म्यूच्यूअल फंड, स्टॉक मार्केट, डेरिवेटिव मार्केट, एन.आई. एस.एम से संबंधित परीक्षाओं व अन्य निवेश संबंधी महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त की ।कार्यक्रम में मुख्य वक्ता दीपक कुमार रहे। कार्यक्रम का आयोजन प्राचार्य रचना अरोड़ा के मार्गदर्शन में करियर गाइडेंस एंड प्लेसमेंट सेल की कोऑर्डिनेटर नीरू चावला द्वारा किया गया।

“पत्रकारिता पर बाज़ारवाद का बढ़ता प्रभाव“ पर आयोजित हुई संगोष्ठी।

’’कोई भी पुत्र, कोई भी पिता, कोई भी परिवार कोई भी प्रतिज्ञा कोई भी परम्परा राष्ट्र से ऊपर नही हो सकती’’-गजेंद्र चैहानबाजार संचालित पत्रकारिता कोई नई अवधारणा नही-त्रिभुवन पत्रकारिता के भविष्य को मिलेगा प्रोद्योगिकी द्वारा आकार- आर.के. अनायत“पत्रकारिता पर बाज़ारवाद का बढ़ता प्रभाव“ पर आयोजित हुई संगोष्ठी भिवानी 15 अप्रैल 2023’’कोई भी पुत्र, कोई भी पिता, कोई भी परिवार कोई भी प्रतिज्ञा कोई भी परम्परा राष्ट्र से ऊपर नही हो सकती’’ यह वक्तव्य गजेंद्र चैहान ने आदर्श महिला महाविद्यालय और जर्नलिस्ट क्लब भिवानी के संयुक्त तत्वावधान में विषय “पत्रकारिता पर बाज़ारवाद का बढ़ता प्रभाव“ पर आयोजित हुई संगोष्ठी मे साझा किये। उन्होने कहा कि पत्रकार लगातार बदलते मीडिया परिदृश्य में प्रासंगिक बने रहने के लिए बदलाव के लिए तैयार रहें और तकनीकी प्रगति के इस युग में, मीडिया संगठनों को अपने दर्शकों को नवीन और आकर्षक सामग्री प्रदान करने के लिए नई तकनीकों और डिजिटल प्लेटफॉर्म को अपनाना चाहिए । महाविद्यालय मे आयोजित क्रार्यकम मे गजेंद्र चैहान, मशहूर फिल्म जगत के कलाकार और कुलपति, पंडित लख्मी चंद परफार्मिंग और विज़ुअल आट्र्स राज्य विश्वविद्यालय और प्रो. आर के अनायथ, कुलपति, दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मुरथल मुख्य अतिथि के रूप में पत्रकार क्लब भिवानी के सहयोग से आदर्श महिला महाविद्यालय द्वारा “पत्रकारिता पर बाजारवाद का बढ़ता प्रभाव“ विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी में चर्चा के लिए उपस्थित रहे। त्रिभुवन जी, प्रतिष्ठित पत्रकार, लेखक और शिक्षाविद, इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता थे ।’’आज के युवा इस प्रवृत्ति से सबसे अधिक प्रभावित हैं, क्योंकि वे मीडिया सामग्री के सबसे बड़े उपभोक्ताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं’’। अशोक बुवानीवाला, महासचिव, ने सेमिनार के विषय ’’पत्रकारिता पर बाजारवाद के बढते प्रभाव’’ के महत्व के बारे में बताते हुए कहा। उन्होंने सभी सम्मानित अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्थान की कई उपलब्धियों का अवलोकन प्रदान किया और पत्रकारिता को रेखांकित करने वाले नैतिक और पेशेवर मूल्यों के बारे में छात्राओं को शिक्षित और संवेदनशील बनाने के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस तरह के सेमिनार जिम्मेदार पत्रकारिता को बढ़ावा देने में मदद करेंगे और छात्राओं को अच्छी तरह से जागरूक नागरिक बनने के लिए तैयार करेंगे जो समाज में सकारात्मक योगदान दे सकते हैं।लेखक, शिक्षाविद् और वरिष्ठ पत्रकार त्रिभुवन जी ने अपने मुख्य भाषण में मीडिया उद्योग पर उपभोक्तावाद के प्रभाव पर जोर दिया। त्रिभुवन जी ने एक आदर्श पत्रकार के उदाहरण के रूप में महाभारत से संजय के चरित्र का हवाला देते हुए पत्रकारिता में मूल्यों और नैतिकता की प्रासंगिकता के बारे में बात की । उन्होंने बताया कि बाजार संचालित पत्रकारिता कोई नई अवधारणा नहीं है और इतिहास मे इसके उदाहरण हैं जब डाॅ. बी.आर. अंबेडकर और आचार्य नरेंद्र देव ने मीडिया उद्योग की बिगड़ती स्थितियों के बारे में आगाह किया था । ये चेतावनियां आज भी प्रासंगिक हैं।त्रिभुवन जी ने गुणवत्तापूर्ण समाचार और सूचना के लिए सही कीमत चुकाकर पत्रकारिता की स्थिति में सुधार के लिए जनता की सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने द इकोनाॅमिस्ट और टाइम जैसे प्रकाशनों के उदाहरणों पर प्रकाश डाला प्रो. आर.के. अनायथ ने पत्रकारिता में एआई की भूमिका पर चर्चा की, सटीकता और विविध दृष्टिकोणों पर जोर दिया। उन्होंने यह समझने के महत्व पर भी जोर दिया कि मीडिया की खपत निर्णय लेने को कैसे प्रभावित करती है। उन्होने आर्टीफिशिल इटैलिजेंसी, माॅडर्न जर्नलिस्ट, मानव मूल्य व अन्य तकनीकी क्राति को छात्राओं के साझा किया। साथ ही यह भी बताया कि ए.आई बड़ी मात्रा में डेटा को संसोधित कर सकता है, पैटर्न और प्रवृत्तियों की पहचान कर सकता है और व्यापक कवरेज प्रदान कर सकता है। पत्रकारिता के भविष्य को प्रौद्योगिकी द्वारा आकार दिया जाएगा। गजेंद्र चैहान ने अपने भाषण के दौरान, प्रतिष्ठित टेलीविजन श्रृंखला, महाभारत में काम करने के अपने समय की कुछ पुरानी यादों को भी छात्राओं के साथ साझां किया। उन्होंने परिवर्तन के महत्व पर जोर दिया और बताया कि जीवन के हर पहलू में यह कैसे अपरिहार्य है। प्राचार्य, रचना अरोड़ा, ने कहा, कि “मीडिया की स्वतंत्रता और अखंडता महत्वपूर्ण है। मीडिया पर बाजार का प्रभाव मीडिया परिदृश्य में आवाजों की विविधता और बहुलता को सीमित कर सकता है। जिससे युवा दिमाग और उनकी निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।“ जर्नलिस्ट क्लब के अध्यक्ष ईश्वर धामू ने क्लब द्वारा संचलित समाजिक उत्थान की विभिन्न गतिविधियो को विचार गोष्ठी मे साझंा किया। आयोजन के दौरान जर्नलिस्ट क्लब भिवानी ने वरिष्ठ पत्रकार एवं पाठक पक्ष के संपादक देवेंद्र उप्पल को 37 वर्षों से अधिक समय तक पत्रकारिता में उनके अनुकरणीय योगदान के लिए देवव्रत वशिष्ठ मेमोरियल अवार्ड से सम्मानित किया। पत्रकार क्लब भिवानी के विभिन्न सदस्यों ने उन्हें शाॅल, पगड़ी, प्रशंसा पत्र और अवार्ड के साथ सम्मानित किया । जर्नलिस्ट क्लब भिवानी ने सेल्फी प्रतियोगिता “एक दिया शहीदों के नाम“ के विजेताओं को सम्मानित किया। नीलम अग्रवाल, करण पुनिया और मुकेश वत्स ने मुख्य अतिथियों से मोमेंटो प्राप्त किया। विचार गोष्ठी मे महाविद्यालय प्रबंधकाारिणी सीमिति के उपाध्यक्ष कमलेश चौधरी, कोषाध्यक्ष प्रीतम अग्रवाल, पवन केड़िया, विरेन्द्र भोड़ूका व जर्नलिस्ट क्लब के अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। कार्यक्रम मे मंच का संचालन बडे़ ही प्रभावी ढ़ग से डा.0 निशा शर्मा द्वारा किया गया कार्यक्रम संयोजिका ड़ा.0 रिंकू अग्रवाल, सहसंयोजिका जन सम्पर्क मीड़िया विभाग से गायत्री आर्य, रिचा आर्य, पूजा लाम्बा व पुलंकित जैन रहे।

अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ।

आपका कर्म आपको आन्नदित करेगा।सभी कार्य मर्यादित होकर व संयम में करें।मन की शुद्धि मोक्ष प्राप्ति का साधन – डाॅ0 वेद प्रताप वैदिकभिवानी। 19 फरवरी, 2023। संतों का समाज निर्माण में अद्वितीय योगदान रहा है। संतो द्वारा दिया गया साहित्यिक ज्ञान सामाजिक जीवन निर्वाह के लिए सरल मार्ग प्रशस्त करता है। संतों का सान्निध्य न केवल मानसिक सुख प्रदान करता है, बल्कि व्यवहारिक जीवन में आने वाली अनेक मुश्किलों का सामना करने की शक्ति भी देता है। यह उद्गार आदर्श महिला महाविद्यालय, भिवानी में आयोजित अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी जिसका विषय ’संत-साहित्य की वर्तमान संदर्भ में प्रासंगिकता’ के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि डाॅ0 वेद प्रताप वैदिक (प्रख्यात चिंतक, वरिष्ठ पत्रकार, नई दिल्ली) ने कहे। संगोष्ठी का आयोजन हरियाणा साहित्य अकादमी, पंचकुला व महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि पंचविकारों से दूर होकर सभी कार्य मर्यादित व संयम में रहकर करने से इसी जन्म में मोक्ष प्राप्ति संभव है। मनुष्य को अपना आचरण शुद्ध रखना चाहिए। जात-पात की भावना से ऊपर उठकर स्वयं पर विश्वास रखें व अपनी बुद्धि से कार्य करें। हमें दूसरों का कहा बिना चिंतन व मनन न मानकर अपने पर विश्वास रखना चाहिए। उन्होंने सांख्य दर्शन, योग दर्शन, उपनिषद, हिन्दी शास्त्र एवं धर्मग्रन्थों का संक्षिप्त रूप संगोष्ठी में साँझा किया। संगोष्ठी में लगभग 80 विद्वानों ने पंजीकरण करवाया व संतों से सम्बन्धित उपविषयों पर शोधपत्र प्रस्तुत किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता सुरेश चन्द्र शुक्ल ’शरद आलोक’ प्रवासी हिंदी साहित्यकार, ओस्लो, नार्वे ने की। कार्यक्रम में बतौर बीज वक्ता डाॅ0 संजीव चैहान, निदेशन संत साहित्य शोधपीठ, म.द.वी., रोहतक रहे। द्वितीय सत्र में अध्यक्ष डाॅ0 राकेश उपाध्याय व मुख्य वक्ता डाॅ0 कृष्ण कुमार कौशिक रहे। तृतीय सत्र में अध्यक्ष प्रो0 किशना राम बिश्नोई व मुख्य वक्ता डाॅ0 सिद्धार्थ शंकर राय रहे। समापन सत्र में बतौर मुख्य वक्ता डाॅ0 संजीव चैहान रहे। इस अवसर पर महाविद्यालय प्रबन्धकारिणी समिति के महासचिव अशोक बुवानीवाला, उपाध्यक्ष कमलेश चैधरी, कोषाध्यक्ष प्रीतम अग्रवाल, सदस्य पवन केडिया, सुभाष चन्द्र, डाॅ0 पवन बुवानीवाला, सुरेश दौरालिया सहित विभिन्न महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों से प्राध्यापकों ने कार्यक्रम में उपस्थिति दर्ज की। कार्यक्रम का शुभारम्भ संतों की वाणी के सम्मुख अतिथिगण द्वारा दीप प्रज्जवलित कर व छात्राओं द्वारा मंत्रोच्चारण करके किया गया। कार्यक्रम में सर्वप्रथम संगीतज्ञ डाॅ0 राम अवतार ने दादू जी महाराज का ’’जो जो पीबत राम रस, त्यों त्यों बढ़े प्यास’’ भजन सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। महासचिव अशोक बुवानीवाला ने अतिथिजनों का अपने वक्तव्य के माध्यम से स्वागत किया और कहा कि आज की संगोष्ठी का विषय बहुत ही प्रासंगिक रहा है। वैश्वीकरण और विश्व बाजारवाद के युग में कम्यूनिटी केवल एक कोमोडिटी बनकर रह गया है और मानवीय संवेदनाओं का निरन्तर गला घुटता जा रहा है। संतो के सानिध्य के द्वारा ही समाज में संतुलन बनाया जा सकता है। संतों द्वारा दिए गए सिद्धांत एवं संत वाणी ही सभ्य समाज की आधारशीला है। कार्यक्रम अध्यक्ष सुरेश चन्द्र ने हिन्दी साहित्य पर बल डालते हुए कहा कि आज विदेशों में भारतीय मूल के संस्कारों व त्योहारों का बोलबाला है। आज हमें संत वाणी के प्रति जागरूक होकर अपना फर्ज निभाना चाहिए, तभी हम हर घंटे तरक्की कर आत्मनिर्भर बन सकते हैं। उन्होंने हिन्दी भाषा के विकास एवं प्रचार पर भी बल दिया। साथ ही यह भी बताया कि नार्वे में हिन्दी के साथ तमिल एवं पंजाबी भाषा को अन्तरराष्ट्रीय भाषा के रूप में अपनाया गया है। उन्होंने राजनीति एवं साहित्य को एक ही सिक्के के दो पहलु के रूप में बताया। मुख्य वक्ता डाॅ0 संजीव चैहान ने नारी के सम्मान पर बल देते हुए संत साहित्य में नारी के सम्मान को विभिन्न उदाहरणों द्वारा स्पष्ट किया। निदेशिका डाॅ0 अरूणा सचदेव ने शिक्षाविदों को संगोष्ठी में पधारने पर धन्यवाद किया और कहा कि संत साहित्य हमें बहुत कुछ सिखाता है। संतों की वाणी से हमें मानसिक एवं आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है। कार्यक्रम संयोजिका वं मंच संचालन डाॅ0 मधुमालती ने किया और मंच के माध्यम से संत वाणी की महिमा का व्याख्यान उन्होंने संत वाणी के विभिन्न दोहों से दिया। साथ ही सभी विद्वतजनों के वक्तव्यों को भी संक्षिप्त किया। कार्यक्रम सहसंयोजक व समापन सत्र में मंच संचालक डाॅ0 रमाकान्त शर्मा रहे। कार्यक्रम में महाविद्यालय का समस्त शिक्षक, गैर-शिक्षक वर्ग एवं छात्राएं उपस्थित रही।.