शास्त्रीय संगीत व नृत्य अध्यात्म से जुड़ने का सरल माध्यम- डाॅ0 साक्षी

मानसिक व शारीरिक संतुलन की कला नृत्य – डाॅ0 साक्षी

कथा कहे सो कथक कहलाए कथक प्राचीन भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैली मुख्यत कथा वाचन शैली पर आधारित है। यह हमारी भारतीय संस्कृति से ओत-प्रोत है। इससे जुड़कर छात्राएं न केवल अपनी संस्कृति से जुडेंगी अपितु उनका शारीरिक एवं मानसिक विकास होगा और उनमे आत्मविश्वास बढ़ेगा। यह उद्गार आदर्श महिला महाविद्यालय में आयोजित 10 दिवसीय कथक कार्यशाला में दिल्ली से आई अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षिका डाॅ0 साक्षी शर्मा (दूरदर्शन कलाकार) ने कहे। उन्होंने कथक नृत्य शैली के बारे में बताया कि इसके तकनीकी पक्ष में तत्कार लय, ताल की जानकारी के साथ, हस्तक, तीन ताल में तोड़ें व तिहाईयां सिखाई जाती है। यह शारीरिक नियंत्रण एवं धैर्य की कला है। कथक कला में दृष्टि भेद, हस्त, ग्रीवासंचालन व सांसों पर नियंत्रण रखना भी सिखाया जाता है। कार्यशाला का आयोजन महाविद्यालय प्राचार्या डाॅ0 अलका मित्तल के दिशानिर्देशन व निर्देशिका डाॅ0 अरुणा सचदेव के सानिध्य में संगीत विभाग द्वारा किया जा रहा है। महाविद्यालय प्राचार्या डाॅ0 अलका मित्तल ने बताया कि आज के व्यस्तता भरे जीवन में अपने लिए समय निकालना नितांत आवश्यक है। आज की गलाकाट प्रतियोगिता एवं तकनीकी क्रांति के युग में प्रत्येक मनुष्य तनावग्रस्त है और युवा वर्ग में पाश्चात्य संस्कृति का बोल-बाला है। युवा वर्ग अपनी सभ्यता एवं संस्कृति को भूलता जा रहा है। छात्राओं को भारतीय संस्कृति से जोड़ने के लिए महाविद्यलाय ने 10 दिवसीय नृत्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। निर्देशिका डाॅ0 अरुणा सचदेव ने संगीत को परिभाषित करते हुए बताया कि संगीत गायन, वादन व नृत्य तीनों के मेल से पूरा होता है। जिसमें समय का उचित तालमेल होना आवश्यक है। संगीत की ताल एकगुण, दोगुण व चैगुण के समावेश के बिना नृत्य अधुरा है। उन्होंने यह भी कहा कि संगीत में ही भगवान का निवास है। कार्यशाला में न केवल छात्राएं पूरी लग्न व जोर-शोर के साथ भागीदारी स्थापित कर रही है अपितु महाविद्यालय का शिक्षक एवं गैर-शिक्षक वर्ग भी बढ़-चढ़कर भाग ले रहा है।छात्राओं की अभिव्यक्तिपूर्वांशी, साक्षी, आरती, पदमा, टविंकल, सुजाता, चित्राक्षी, संगीता, तनिषा व दीक्षाऽ पूर्वांशी – लगातार पढ़ाई करते रहने से मुझे गर्दन में दर्द था जो इस नृत्य शैली की मुद्राओं के माध्यम से दूर हो गया। पदमा- अन्य नृत्य शैलियों से केवल खुशी मिलती है लेकिन कथक नृत्य शैली से हमें आनंद मिला है और भक्ति की भावना उत्पन्न हुई है।ऽ साक्षी- कथक नृत्य से हमारे व्यक्तित्व में निखार आया और हमने अनुशासन में रहना सीखा।ऽ चित्राक्षी- नृत्य के माध्यम से हमारे अंदर अलग प्रकार की ऊर्जा कासंचार हुआ और हमने योग की मुद्राएं भी सीखी। ऽ संगीता- हम पहले केवल पाश्चातय नृत्य को ही जानते थे लेकिन आज महाविद्यालय द्वारा आयोजित कथक नृत्य कार्यशाला के माध्यम से अपनी संस्कृति से जुड़ने का अवसर प्राप्त हुआ।