महाविद्यालय में एक दिवसीय शिल्पकारी प्रदर्शनी का आयोजन छात्राओं ने निर्मित किए लगभग 3000 उत्पाद ।

नवाचार आत्मनिर्भरता को बढावा देता हैं-शिवरतन गुप्ता

बैस्ट आउट ऑफ वेस्ट से निर्मित उत्पाद पर्यावरण संरक्षण में सहायक-अशोक बुवानीवाला

आदर्श महिला महाविद्यालय में एक दिवसीय शिल्पकारी प्रदर्शनी का आयोजन छात्राओं ने निर्मित किए लगभग 3000 उत्पाद ।

भिवानी। 18 अक्टूबर भारतीय हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को संजोने और बढ़ावा देने के लिए शिल्पकारी छात्राओं का अपना एक अनूठा योगदान रहा है। इसी के तहत शुक्रवार को एक दिवसीय शिल्पकारी प्रदर्शनी स्थानीय आदर्श महिला महाविद्यालय में शुरू हुई। प्रदर्शनी का उद्घाटन मुख्य अतिथि वैश्य महाविद्यालय ट्रस्ट के अध्यक्ष शिवरतन गुप्ता व विशिष्ट अतिथि आदर्श महिला महाविद्यालय प्रबंध समिति के महासचिव अशोक बुवानीवाला के कर कमलांे द्वारा दीप प्रज्ज्वलित व मंत्रोच्चारण द्वारा किया गया।शिवरतन गुप्ता ने कहा कि नवाचार व कौशल निर्माण सुदढ़ उद्यमशीलता के महत्वपूर्ण घटक हैं जो आज प्रदर्शनी के माध्यम से छात्राओं ने प्रदर्शित किए। महाविद्यालय में लगाई गई प्रदर्शनी के माध्यम से छात्राओं को आत्मनिर्भर व स्वाभलंम्बी बनाने का मंच प्रदान किया गया है। छात्राओं द्वारा बनाएं गए उत्पाद अत्यंत ही सराहनीय हैं। बैस्ट आउट आफ वेस्ट का उचित प्रयोग छात्राओं द्वारा किया गया हैं।अशोक बुवानीवाला ने कहा- भारत की समृद्ध विरासत को शिल्पकारी छात्राओं के माध्यम से एक मंच पर साथ लाना वास्तव में सराहनीय पहल है। यहां प्रदर्शित ‘आर्टवर्क’ की विविधता हमारे देश को परिभाषित करने वाली शिल्पकला का सच्चा उत्सव है।उन्होंने यह भी कहा कि चंदेरी की जटिल बुनाई से लेकर बांधनी के जीवंत रंगों तक, हर एक प्रोडक्ट परंपरा, रचनात्मकता और हमारी छात्राओं की भावनाओं को प्रदर्शित करता है। यह प्रदर्शनी सिर्फ प्रोडक्ट्स के शोकेस से कहीं अधिक है। यह उस कला और संस्कृति को भी ट्रिब्यूट है, जिससे भारत की विश्व में पहचान है।बैस्ट आउट ऑफ वेस्ट एवं प्रकृति सरक्षण का संदेश छात्राओं द्वारा उचित प्रकार दिया गया हैं महाविद्यालय प्राचार्या डॉ. अलका मितल ने कहा कि आज के समय में छात्राओं को उद्यमशीलता की दिशा में बढ़ाने के लिए यह महविद्यालय की अनूठी पहल हैं जिसमें महाविद्यालय की प्राध्यापिकाओं व छात्राओं की कड़ी मेहनत हैं। इस प्रदर्शनी के माध्यम से छात्राएँ उद्यमशीलता के गुर सीख अपने सपनांे को पूरा कर सकेगीं और देश के विकास में योगदान कर सकेगी। गौरतलब है कि शिल्पकारी का उद्देश्य एक ऐसे मंच का निर्माण करना है, जो छात्राओं की शिल्पकला और आधुनिक उपभोक्ताओं को जोड़ते हुए उनके बीच दूरी को कम कर सके। महाविद्यालय द्वारा ली गई इस पहल का उद्देश्य सस्टेनेबल फैशन प्रैक्टेसिस को बढ़ावा देना है, जिससे छात्राओं को सशक्त बनाया जा सके एवं फैशन उद्योग के पर्यावरणीय प्रभाव को कम किया जा सके। प्रदर्शनी में छात्राओं ने पूर्ण रूप से प्राकृतिक व वेस्ट पदार्थो का प्रयोग करते हुए लगभग 3000 उत्पाद निर्मित किए। जिसमें मुख्यत गृह साज-सज्जा सामग्री, प्राकृतिक सौदर्य प्रसाधन, टाई ऐंड डाई की साडियाँ व सूट चद्दरें, पैटिग व कढाई बुनाई के उत्पाद इत्यादि रहें। प्रदर्शनी में जिले के गणमान्य व्याक्तियों ने शिरकत कर छात्राओं का मनोबल बढाया। महाविद्यालय समिति उपाध्यक्ष सुनीता गुप्ता, प्रसिद्ध समाज सेवी मीनू बुवानीवाला, रंजना बुवानीवाला, स्मृति बुवानीवाला, कमलेश चोघरी, सुरेश देवरालीया, रीना तनेजा, डॉ. रजनी राघव, सरला गर्ग की उपस्थिति ने छात्राओं को प्रोत्साहित किया। प्रदर्शनी का आयोजन महाविद्यालय प्राचार्या डॉ. अलका मितल के दिशानिर्देशन में डॉ अर्पणा बतरा, संगीता मनरो, डॉ निशा शर्मा द्वारा किया गया। जिसमें महाविद्यालय की प्राध्यापिकाओं का सहयोग रहा।