महाविद्यालय में उत्तराखंड के डीजीपी ‘अशोक गर्ग’ की पुस्तक ‘खाकी में इंसान’ का विमोचन हुआ।

पुलिस वर्दी में रहते हुए इंसान बनना मुश्किल नहीं: डीजीपी अशोक गर्ग -उत्तराखंड के डीजीपी अशोक गर्ग की पुस्तक खाकी में इंसान का भिवानी में विमोचन-हरियाणा की माटी के लाल की किताब कहती सकारात्मक पहलुओं की कहानीभिवानी, 30 सितंबर। हर व्यक्ति में यह भ्रम है कि खाकी में इंसान नहीं होता। इसे दूर करने के लिए मैंने अपने दिल से खाकी में इंसान पहली किताब लिखी। यह किताब मेरे मन में उठे द्वन्द्व की उपज है। जिसके माध्यम से मैं यह संदेश समाज को देना चाहता हूं कि पुलिस से डर केवल बदमाशों में होना चाहिए। आम आदमी के अंदर पुलिस को देखकर खुशी व महिलाओं में सुरक्षाओं का भाव आना चाहिए। यह बात उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अशोक गर्ग ने अपनी पुस्तक खाकी में इंसान के जनसंवाद एवं समीक्षा समारोह में कही। कार्यक्रम में हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड सचिव ज्योति मित्तल विशिष्ट अतिथि रही। यहां आदर्श महिला महाविद्यालय में आयोजित जनसंवाद एवं समीक्षा समारोह में प्रबंधकारिणी समिति के महासचिव अशोक बुवानीवाला व अजय गुप्ता ने मुख्य अतिथि को बुके भेंट कर उनका स्वागत किया। महाविद्यालय प्राचार्या डॉ. अलका मित्तल ने स्मृत्ति चिन्ह भेंट कर उन्हें सम्मानित किया। अपने संबोधन में उत्तराखंड के डीजीपी अशोक गर्ग ने कहा कि पुलिस का मतलब चाय की दुकान पर सेटिंग व दलाली तंत्र का नहीं, अपितु जनता की सेवा का है। उन्होंने कहा कि देश का विकास तभी संभव है, जब पुलिस तंत्र देश के साथ जुड़ेगा। पुलिस की इमेज अंग्रेजों के समय से क्रांतिकारी आंदोलन को दबाने व कर वसूलने की रही है। जिसे आज बदलने की आवश्यकता है। उनकी इस पुस्तक में स्वयं अनुभवों के आधार पर गैंगरेप, भ्रष्टाचार एवं चोरी डकैती से संबंधित 16 कहानियां है। जिसे उन्होंने दिमाग से नहीं अपने दिल से लिखा है। उन्होंने कहा कि यदि महिलाओं पर अत्याचार बढ़ रहे हंै, यह अगर सामने आ रहा है तो इसका कारण महिलाओं की जागरूकता है। यह एक सकारात्मक पहलू है। लोकतांत्रिक व राजनीतिक दबाव पर उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक देश में सेवा करना कोई मुश्किल कार्य नहीं। डीजीपी बोले, हिंदी मेरी राष्ट्र भाषा है। अंग्रेजी मुझे सीखनी पड़ी है। साथ ही उन्होंने अपनी अन्य किताबों पर प्रश्नों के उत्तर में हार्ड वर्क नहीं स्मार्ट वर्क, सिविल प्रतियोगिता की तैयारी, पुलिस स्तर राष्ट्रीय स्तर पर कैसे कार्य करें यह भी बताया। उन्होंने कहा कि पुलिस के पास वर्दी, कानून एवं हथियार तीन गुणा शक्ति होती है। जिसका वह पूर्ण ईमानदारी व सत्य निष्ठा से वहन करें। उन्होंने अपनी किताब के पन्नों को श्रोतागण के साथ सांझा किया, जिसे शहर से आए अतिथिगणों एवं प्रभुद्धजनों ने बड़ी आतुरता से सुना। कार्यक्रम में जनसंवाद के तहत पूछे गए प्रश्नों का उत्तर उन्होंने बड़े ही प्रभावी ढंग से दिया। कार्यक्रम में अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में आए शोधार्थियों के शोध पत्रों का सग्रंह संत साहित्य की प्रासंगिकता पुस्तक का विमोचन कुलपति प्रो. राजकुमार मित्तल ने किया। पुस्तक के संपादन में डॉ. मधुमालती व डॉ. रमाकांत शर्मा ने सहयोग दिया। सबल, काबिल व्यक्ति समाज को कुछ दे: प्रो. राजकुमार मित्तलकार्यक्रम अध्यक्ष चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. राजकुमार मित्तल ने कार्यक्षमता, कौशल एवं चरित्रनिर्माण पर बल देते हुए कहा कि यदि व्यक्ति सबल व काबिल है और समाज को कुछ दे सकता है तो उसे समाज को अवश्य देना चाहिए। हमें समाज के नकारात्मक पहलूओं को छोडक़र सकारात्मक पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने नशा, वित्तीय भ्रष्टाचार जैसे गुनाहों पर पुलिस को जागरूक बनने के लिए कहा।समाज में परिवर्तन जागरूकता से संभव: अशोक बुवानीवालाआदर्श महिला महाविद्यालय प्रबंधकारिणी समिति के महासचिव अशोक बुवानीवाला ने कहा कि समाज में परिवर्तन जागरूकता से संभव है। एक पुलिसवाला विपरित परिस्थितियों में रहते हुए भी समाज में अपनी भूमिका अदा करता है। हमें अपने अधिकारों एवं कत्र्तव्यों का उचित ज्ञान होगा तब हम पुलिस द्वारा दी गई सुरक्षा का पूर्ण रूप से फायदा उठा पायेंगे। उन्होंने खाकी में इंसान किताब की प्रशंसा करते हुए महाविद्यालय के शैक्षणिक, सांस्कृतिक एवं खेलकूद क्षेत्र के उत्कृष्ट प्रदर्शन से अवगत करवाया। इन सबकी रही उपस्थितिआदर्श शिक्षा समिति के अध्यक्ष अजय गुप्ता, वैश्य महाविद्यालय ट्रस्ट के अध्यक्ष शिवरत्न गुप्ता, वैश्य महाविद्यालय के महासचिव सुरेश गुप्ता, महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक के हिंदी विभाग से प्रो. पुष्पा रानी, सुरेश देवरालिया, सुंदर लाल गोटेवाला, दीपक बंसल, सुभाष सोनी, सतीश आर्या, सुरेंद्र शर्मा के अलावा महाविद्यालय के शिक्षक एवं गैर-शिक्षक कर्मचारी उपस्थित रहे। महाविद्यालय की छात्रा स्नेह ने अशोक कुमार का पोर्टरेट बनाकर भेंट किया।