महाविद्यालय की 50 छात्राओं ने किया अपना घर आश्रम का दौरा भिवानी, 26 अगस्त।

बेसहारा, असहाय व मानसिक रूप से विक्षिप्त, महिलाओं के साथ सांझा किया समय—-आदर्श महिला महाविद्यालय की 50 छात्राओं ने किया अपना घर आश्रम का दौराभिवानी, 26 अगस्त। बेसहारा, असहाय व मानसिक रूप से विक्षिप्त, महिलाओं के साथ आदर्श महिला महाविद्यालय की स्नातक की विभिन्न संकायों की 50 छात्राओं ने अपना घर आश्रम का दौरा किया। इस दौरे के तहत उन्होंने मानसिक रूप से विक्षिप्त, बेसहारा व असहाय महिलाओं के हाथों पर मेहंदी लगाई। जिसके तहत कुछ छात्राएं भावुक हो गई और वहां रह रही महिलाएं भी छात्राओं को देखकर भावुक हो गई, उन्हें अपना घर परिवार की यादें ताजा हो गई। इस मुलाकात के दौरान छात्राओं ने यह शपथ ली कि वह शादी के बाद अपने सास-ससुर को माता-पिता की तरह ही मानेंगी व उनकी देखभाल करेंगी। इस प्रकार से अपनों के होते हुए उन्हें आश्रम नहीं भेजेंगी। छात्राओं ने यह भी शपथ ली कि अपना जन्म दिवस व त्यौहार अपना घर आश्रम में अपने परिवार सदस्यों के साथ मनाएंेगी ताकि उन्हें अपनापन लगें। महाविद्यालय की छात्राएं भावना, प्रीति, नीरू, ज्योति, पिंकी, पायल, अलिषा, नितिका, वर्षा व स्नेहा ने बताया कि उन्होंने आश्रम में सभी को रक्षा बंधन की बधाई दी ओर मेहंदी लगाकर, दुपट्टे व उनके लिए अन्य सौन्दर्यवर्धन प्रसाधन के साथ बिस्कुट भी वितरित किए। इस यात्रा से उन्होंने नैतिक मूल्य स्नेह व प्रेम की भावना को जाना व समाज के प्रति अपने कत्र्तव्यों को समझा। इसी के साथ हैरिटेज क्लब के तत्वावधान में छात्राओं ने श्री खाखी बाबा मंदिर का भी दौरा किया। वहां जाकर छात्राओं ने अपने धर्म और संस्कृति को जाना। दोनों यात्राओं का आयोजन प्राचार्या डाॅ0 अलका मित्तल के दिशानिर्देशन में हुआ। उन्होंने बताया कि काॅलेज का उद्देश्य छात्राओं को केवल किताबी ज्ञान देना ही नहीं बल्कि छात्राओं में नैतिकता के गुण पैदा करने के लिए इस प्रकार के टूर लगाए जाते हैं, आश्रम में जाने से पहले महाविद्यालय प्राचार्या ने छात्राओं को प्रेरणा दी कि आज आप बेटी है। कल आप बहु बनेंगी। अपने बुजुर्गों का सत्कार करना व उनकी संभाल करने का फर्ज अदा करें। आज के समय में अगर बुजुर्गों को अपने परिवार व घरों से दूर वृद्ध आश्रम में रहना पड़ता है तो इसके लिए आज की नौजवान पीढ़ी जिम्मेदार है। हर व्यक्ति को अपने बुजुर्गों का सत्कार व उनकी संभाल करनी चाहिए, ताकि बुजुर्गों को जिंदगी के आखिरी पड़ाव में परिवार का सहारा मिल सके। यदि किसी कारणवश वृद्ध आश्रम में बुजुर्ग रहने को मजबूर हैं तो उनकी वहां पर संभाल के लिए भी नौजवानों को आगे आना चाहिए। अपना घर आश्रम के बेसहारा व असहाय महिलाओं के समूह ने छात्राओं को अपना आशीर्वाद देकर उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।