आदर्श महिला महाविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का समापन समारोह
निर्णय लेने की क्षमता स्वयं महिलाओं की हों – डॉ. सपना बंसल
स्वयं की सकारत्मक सोच और प्रयास से आत्मनिर्भर बने- डॉ. भरतवाल
महिलाओं का स्वावलम्बन ही महिला सशक्तिकरण का आधार- डॉ. पवन बुवानीवाला
आज की महिला पारम्परिक रूढिवादिता के बंधनो को तोडते हुए हर क्षेत्र में अपना वर्चस्व स्थापित किए हुए है। महिलाएं पुरुषो के साथ कंधे से कंधा मिलाकर उन्नति के शिखर का छू रही हैं। यह उद्गार आदर्श महिला महाविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के आयोजन के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि श्री राम कॉलेज ऑफ कॅार्मस, दिल्ली से प्रो. सपना बंसल ने कहें। उन्होनें यह भी कहा कि महिलाएं स्वयं को किसी से कम न समझें अपितु पूर्ण आत्मविश्वास के साथ कार्य और जीवनशैली में संतुलन बनाते हुए आगे बढंे़।
महाविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार जिसका विषय-‘‘महिला सशक्तिकरण में आत्मनिर्भर भारत की भूमिका’’ के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि डॉ. सपना बंसल, विशिष्ट अतिथि डॉ. पवन बुवानीवाला, महासचिव वैश्य ट्रस्ट भिवानी रहे। तकनीक सत्र में मुख्य वक्ता डीन फैक्लटी ऑफ कॉमर्स एडं मैनेजमैंट सी.बी.एल.यू से प्रो. सुनीता भरतवाल रही।
वैश्य महाविद्यालय ट्रस्ट के प्रधान शिवरत्न गुप्ता ने कहा कि नौकरी लेने वाले नही, देने वाले बने। महिला सशक्तिकरण की अवधारणा हमारे प्राचीन इतिहास से ही हमारे समाज में है। भारतीय संस्कृति में देवियों के हाथ में ही सृष्टि के संचालन की शक्ति रही हैं।
विशिष्ट अतिथि डॉ. पवन बुवानीवाला ने कहा कि महिला सशक्तिकरण का आधार महिलाओं का स्वावलंबी होना हैं। वित्तिय तौर पर महिलाएं आत्मनिर्भर होगीं तब वह स्वयं निर्णय लेने की क्षमता विकसित कर पाएंगी। उन्होनें यह भी कहा कि पुरूष आदिकाल से ही महिलाओं के सहयोग के बिना अधूरा है।
तकनीकी सत्र में मुख्य वक्ता डॉ. सुनीता भरतवाल अपने संबोधन में कहा कि भारत युवा शक्ति का देश है। आत्मनिर्भर भारत में युवाओं के लिए बहुत सारे अवसर है, आवश्यकता कर्म्फटजोन से बाहर आकर प्रयास करने की है। आत्मनिर्भर भारत के लिए महिलाओं का सशक्त होना बेहद आवश्यक है। ज्ञान, शिक्षा और कौशल से सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलता है। टीम प्रबंधन और ईकाई बनाकर महिलाएं उद्यमशीलता को बढ़ावा दे सकती हैं। शिक्षक वर्ग से अपील कि वे विधार्थियों मे कौशल निर्माण करें और रोजगार के अवसरों से अवगत कराएं।
प्राचार्या डॉ. अलका मित्तल ने सभी अतिथिगण का धन्यवाद किया और बताया कि सेमिनार का आगाज दो सत्रो में हुआ। जिसमें प्रांत के 31 विभिन्न विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों से आए 230 शोधार्थियों ने पंजीकरण करवाया और उन्होने अपने शोध पत्रो के माध्यम से महिला सशक्तिकरण पर प्रकाश डाला। प्राचार्या ने यह भी विश्वास दिलाया कि महाविद्यालय आगे अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी सेमिनार का आयोजन करेगा। कार्यक्रम में शोधार्थी डॉ. पवन कुमार, विकास शर्मा, रीना तनेजा, ने सेमिनार का सक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया।
सेमिनार की कॉर्डिनेटर नीरु चावला, आयोजक सचिव डॉ. अमीता गाबा, संयुक्त सचिव अनीता वर्मा संयोजिका डॉ. आशिमा यादव सह संयोजिका डॉ. गायत्री बसंल, डॉ. प्रीति शर्मा व टीम सदस्य शीतल केड़िया, वैशाली, हिमांशी जैन, डॉ. सुचेता सोनी रहे। मंच का संचालन बडे़ ही प्रभावी ढ़ग से डॉ. निशा शर्मा व डॉ. रिकंू अग्रवाल द्वारा किया गया। तकनीकी सत्र की कॉर्डिनेटर डॉ. रिकूं अग्रवाल, डॉ. नूतन शर्मा व डॉ. मोहिनी रही।